नारी हुई शोभायमान जगत में
जैसे लक्ष्मी विराजे जलज में
हरियाली दी तिनके को उसने
नयनों के नीचे लगाया काजलउसके नीचे नयनों का जलरखकर सींचा माँ तुलसी को
हृदयवान है वो भागेश्वरी
प्रकृति का तोहफा वह सुंदरी
हरे रंग को लाल रचाती
सहमी सी अब लगे ये परीनिश्छल निर्जल व्रत है करतीअनजाना नहीं किसी को कहती
कपटी आँखों के शीशे में
माँ दुर्गा का बिम्ब दिखती
बच्चों को वो फिर दुलराती
मँझदार में मांझी बन जातीअंधियारे में वो ज्योति जलाकरसाक्षरता की रौशनी देती।
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Nice to meet you...