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If "Plan A" Didn't Work. The alphabet has 25 more letters ! Stay Cool. It's gonna be awesome.

क्या पता, फिर क्या होगा !

Monday, 6 October 2014


कंचों के दर्पण में देख

एक रोज़

व्यंग्य किया किसी निरक्षर ने

हिल जाएगी दुनिया

यदि धरा इन पर

फिसल गई तो

तेज़ भागेगी धरती

अरे पढ़ना कम पड़ेगा

 

लेकिन

सार्थकता तो उसने देखी

महसूस करी

फिर करी बयाँ 

 

यदि ख़त्म हो गई

चमकती-दमकती हरियाली

तो हिल सकती है दुनिया

नही रहेंगे पेड़ और पौधे

तो बचेगा दलदल

मज़बूत नहीं बचेगी माटी

तो फिसल सकती है धरती

 

साँसों की गिरावट से

प्रदूषण की मिलावट से

जनता सारी भूखी-प्यासी

अतृप्त सी धरती

 

भटकेगी कुछ खोजने के लिए

 

भागेगी बहुत तेज़

और जिन्होंने हरियाली उखाड़ी है

लोग दौड़ेंगे

उन्हें उखाड़ने के लिए

समय करेंगे तब भी नष्ट

और

पढ़ना कम पड़ेगा

 

क्यूँकि सोचने का भी वक़्त नहीं होगा

न कोई मंज़िल

न कोई ठिकाना

 

बस धंस जायेंगे

इन्ही पेड़ों के साथ

क्या पता

फर क्या होगा।


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