Pages

Stay Cool

If "Plan A" Didn't Work. The alphabet has 25 more letters ! Stay Cool. It's gonna be awesome.

तेरा इंतज़ार

Saturday, 4 October 2014




यादों की तड़पन ने भिगोया है मुझे
साँसों की सरगम ने पिरोया है मुझे
आहों की बाँहों में अतीत जा सिमटा
दर्दों की सरलता ने संजोया है मुझे



ख्वाहिश मेरी जानते हो तुम
लफ़्ज़ों से मानते हो तुम
चमकीले आईने की तरह दिल है
फिसलें आंसू, क्या यही चाहते हो तुम ?




भोर के उगते सूरज सा सच्चा चेहरा मेरा
पीपल की छाया में पला मन है मेरा
कल्पना में तेरी जगह शून्य नहीं
बरगद की जटाओं सा तुझ तक पहुँचता हर एक अंग है मेरा


राहें बहुत हैं, किनारा कहीं दिखेगा तुझे
रोकेगा !  जो किसी ने याद किया है तुझे
हरी घास में खिले कोमल फूल की नाज़ुक गर्दन
सिर उठाए खड़ी है, कि आज देखले तुझे


सूखी पतली टहनियाँ नहीं हैं मेरी
काश !  होली पर सजती डोली मेरी
पर अब यह व्यथा है जुड़ी इस जीवन में
जैसे काँटों पर विराजती झोली मेरी


मीठे जल के झरने से नाता तेरा
अश्रुधाराएँ लगतीं जैसे तोहफा तेरा
बादलों की ओट से झांक कर देखूं
फूटने के लिए आकार ले रहा है ज़ुल्मों का मटका तेरा


ज़ुबान नहीं खामोश समझना, सभ्य हूँ मैं
ढोल की थाप पर अलबेली गूँज है, मस्त हूँ मैं
घुंघरू कबसे रखे हुए हैं, नहीं बजे
क्योंकि, अंतरात्मा तक संतुष्ट हूँ मैं।


No comments:

Post a Comment

Nice to meet you...