महीनों से बादलों ने
तड़प नहीं दिखाई अपनी
बरसे नहीं हैं मेघा कबसे
प्यास नहीं बुझाई अपनी …
ज़मानों से वृक्षों ने
नहीं सुलाया गोद में अपनी
झूमे नहीं हैं पेड़ कबसे
साँसें नहीं सुनाई अपनी …
सदियों से नदियों ने
अमृत जल - धारा नहीं पिलाई अपनी
चली नहीं हैं मन से , कबसे
गति नहीं दिखाई अपनी …
जो दिखता है वो यह है कि
मज़बूरी में नियम न बदलें ,
उमड़ - घुमड़ कर के बादल भी
बरसे , गरज दिखाई अपनी …
पेड़ हिल गए , हवा चली तब
खूब उडी थी धूल भी संग में ,
नदियाँ बहती चली आ रहीं ,
नाचती लहरें दिखाईं अपनी …
ये सब हैं असंतुष्ट क्यूंकि
घबरा गए हैं व्यवहार से
इस कलयुग में मानव ने
मानवता नहीं दिखाई अपनी …
तड़प नहीं दिखाई अपनी
बरसे नहीं हैं मेघा कबसे
प्यास नहीं बुझाई अपनी …
ज़मानों से वृक्षों ने
नहीं सुलाया गोद में अपनी
झूमे नहीं हैं पेड़ कबसे
साँसें नहीं सुनाई अपनी …
सदियों से नदियों ने
अमृत जल - धारा नहीं पिलाई अपनी
चली नहीं हैं मन से , कबसे
गति नहीं दिखाई अपनी …
जो दिखता है वो यह है कि
मज़बूरी में नियम न बदलें ,
उमड़ - घुमड़ कर के बादल भी
बरसे , गरज दिखाई अपनी …
पेड़ हिल गए , हवा चली तब
खूब उडी थी धूल भी संग में ,
नदियाँ बहती चली आ रहीं ,
नाचती लहरें दिखाईं अपनी …
ये सब हैं असंतुष्ट क्यूंकि
घबरा गए हैं व्यवहार से
इस कलयुग में मानव ने
मानवता नहीं दिखाई अपनी …
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Nice to meet you...