Pages

Stay Cool

If "Plan A" Didn't Work. The alphabet has 25 more letters ! Stay Cool. It's gonna be awesome.

प्रकृति के खेल

Saturday 12 April 2014

महीनों  से  बादलों  ने
तड़प  नहीं  दिखाई  अपनी
बरसे  नहीं  हैं  मेघा  कबसे
प्यास  नहीं  बुझाई  अपनी …

ज़मानों  से  वृक्षों  ने
नहीं  सुलाया  गोद  में  अपनी
झूमे  नहीं  हैं  पेड़  कबसे
साँसें  नहीं  सुनाई  अपनी …


सदियों से  नदियों  ने
अमृत  जल - धारा  नहीं  पिलाई  अपनी
चली  नहीं हैं  मन  से , कबसे 
गति  नहीं  दिखाई  अपनी …


जो  दिखता  है  वो  यह  है  कि
मज़बूरी  में  नियम  न बदलें ,
उमड़ - घुमड़  कर  के  बादल  भी
बरसे , गरज  दिखाई  अपनी …

पेड़  हिल  गए , हवा  चली  तब
खूब  उडी  थी  धूल  भी  संग  में ,
नदियाँ  बहती  चली  आ  रहीं ,
नाचती  लहरें  दिखाईं अपनी …












ये  सब  हैं असंतुष्ट  क्यूंकि
घबरा  गए  हैं  व्यवहार  से
इस  कलयुग  में  मानव  ने
मानवता  नहीं  दिखाई  अपनी …

No comments:

Post a Comment

Nice to meet you...