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Stay Cool

If "Plan A" Didn't Work. The alphabet has 25 more letters ! Stay Cool. It's gonna be awesome.

विजय

Friday, 3 October 2014





 कभी  ख़त्म  न  होगी  आँधी
उठी  आज  जो  महलों  में
छोटी-सी  चिंगारी  है  पर 
आग  लगी  है  पत्तों  में …

 

अब  तड़पो  तड़पाने  वालों
छुपो,  कहाँ  अब  जगह  बची !
नहीं  मिलेगी  तुम्हें  शांति
कारावास  के  मटकों  में …




सहन  नहीं  कर  सकते  हो  तुम
ज्वलनशीलता  का  अध्याय
खो  गई  तेरी  उर-संपत्ति
खोजो  भूले-भटकों  में …



मोह-माया  के  कपड़ों  को  अब 
लपटों  ने  है  घेर  लिया
सुंदरता  को  भी  भोगो  तुम  
अब  कानून  की  गलियों  में …



कभी  नहीं  अब  मिल  सकता  है
यश, वैभव, काला-धन  सारा
दिखे  अगर  वह  कभी  कहीं
होगा  नालों  की  नालियों  में …

भाग्य  तुम्हारा  बदल  गया  है
चरणो  में  है  स्वामी  के
नाता  जिसका  हो  बुराई  से
उसकी  जान  है  खतरों  में …


कभी  डिगा  भी  नहीं  सकती  है
आतंकियों  की  वो  तलवार
रीढ़  सीधी  रखने  वालों  के 
जमे  हौसले  ढालों में …





शक्ति – कौशल  रगों  में  है
खूंखार – शांति  है  रची – बसी
त्याग  दिया  है  ढाँचे  को  पर
बचा  है  सम्बल  लोगों  में …

उर  इतना  मज़बूत  हमारा
चट्टान  फोड़  नदियाँ निकाल  दें
नन्हें घरोंदों  की  कलियाँ 
नहीं  लेतीं  सहारा  पत्तों  में …


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