हो रहा है मन कि मुँह को मैं खोलूँआपके सामने अब, सब कुछ बोलूँआँखें हैं नम, क्यों समां है सूना - सादेखलो इधर, तो मैं शब्दों को तोलूँ
लग रहा है होंठों की सिलाई को उधेडूंप्रीतम के पास बैठ, उसको मै छेड़ूँक्या पता, क्या होने को हैअब तो अपने मुंह का ताला मैं तोड़ूँ।
आँखें नहीं कह पाईं हैं आज तककहा, पर इकरार तो अब भी बाकी हैआप पर इतना ज़ुल्म किया हमनेक्या कहना, इज़हार तो अभी भी बाकी है।
बेक़रार - से इस दिल में एक तड़प उठती हैछाया बड़ी देर से मिली नहींछोड़ दिया है तरकश कहीं तीरों काकि ऑंखें अब ज़्यादा तकलीफ करतीं नहीं।
आपसे बयाँ करना होगा शब्दों में हीसमझ कर भी नासमझी दिखा रहे हैंभाषा चाहे कहूँ या न कहूँमन की बातों में मुझे क्यों उलझा रहे हैं ?
तारीफें तो मिलती हैं आपसे हीएक बार बेक़रार तो होकर देखिएमेरी 'हाँ' का यूँ ही इंतज़ार किया करते हैंएक बार इज़हार तो कर के देखिए
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Nice to meet you...