आज कोई बात हो जाने देवही संगीत, बज जाने देरिश्ता रहा अधूरा अब तकसाँसों को अब, मिल जाने देदेखीं हैं दो आँखें जब सेमन ही चमक उठा है तबसेबहुत अधिक गहराई पाकरअपनी - सी लगतीं मुझको कबसेआज फिर नई शाम आई हैमचलते हुए से काम लाई हैमेरी कहानी पूरी करनेका इंतज़ाम कर आई हैफिर वही धुन बजेगी अब तोऔर वही शख्स मिलेगाजिसको सब दे बैठी हूँ मैंमुझे मेरा अक्स मिलेगा।उससे मेरा रिश्ता सुहानासदियों से था हमने ठानामिलेंगे हम कभी भी परछोड़ के कहीं दूर न जाना।
.............................................................I Rely on my Instincts and Intuition to Follow my Own Path.
मेरी कहानी !
Sunday, 26 July 2015
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Nice to meet you...